Bhag Caves

बाघ गुफाएं |  शोकाकुल महिला | मुकुल चंद्र डे | रंग महल 







बाघ गुफाएं मध्य प्रदेश से धार जिले में इंदौर से लगभग 150 किलोमीटर वह जनता से 400 किलोमीटर दूर  बाघ ग्राम के पास नर्मदा की सहायक नदी वाहिनी  के किनारे फैली श्रेणी  विंध्य पर्वत श्रेणी  मैं 675 मीटर लंबी चट्टान में खड़ी है बाघ ग्राम के निकट  होने के कारण इसका नाम बाघ गुफा पड़ गया इस गुफा की खोज 1818 ईस्वी में मुंबई लिटरेरी के लेफ्टिनेंट डेंजर फील्ड  ने की थी |

सन 1920 में चित्रकार मुकुल चंद्र डे इन चित्रों की प्रतिलिपि तथा स्केच तैयार किए थे  1921 में हलदार वा नंदलाल जैसे चित्रकारों ने भी अच्छी प्रतिलिपियां तैयार की इनके अतिरिक्त कुछ समय बाद सुरेंद्रनाथ कार आप्टे  भोंसले जगताप आदि कलाकारों के दल ने भी इन चित्रों की सुंदर प्रतिलिपियां बनाई सन 1951 मैंने राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया गया बाग में कोई 9 गुफाएं हैं सभी बिहार गुफाएं हैं. 


प्रथम गुफा मंदिर का नाम गृह गुफा दूसरी का पंच पांडे तीसरी का हाथी खाना पथरी का रंग महल चौतीसा रंग महल स्वच्छता का चौथी गुफा का रंग महल पांचवी का पाठशाला छठी सातवीं आठवीं नौवीं गुफाओं के चित्र पूर्ण रुप से नष्ट हो चुके हैं. 


इनके कोई नाम नहीं रखे जा सके दूसरी और चौथी गुफा में सर्वाधिक चित्र बने हैं इन दुकानों का निर्माण पांचवीं शक्ति से लेकर 7 वीं सदी के मध्य माना जाता है हिंदुस्तान का रचनाकाल अजंता के गुफा संख्या 1 व 2 के समकालीन माना जाता है रंग महल कहां है इस गुफा के बाहर बरामदे में लगभग 


बरामदे में लगभग 45 फीट लंबा 6 फीट चौड़ा टुकड़ा  शेष है इस कपड़े में विचित्र उपलब्ध है इस कपड़े में टुकड़े में क्षेत्र उपलब्ध हैं चित्र उपलब्ध है इन चित्रों में एक चित्र एक चित्र शोकाकुल महिला का है दो स्त्रियां मंडप में बैठी हैं 100 का पुल स्त्री चित्र तल के मध्य में अपने सफेद आंचल मैं मुंह छुपाए बैठी है दूसरी स्त्री एक महिला को धीरज बना रही है इस चित्र के अतिरिक्त मंत्रणा देव पुरुषों का आकाश में विचरण गाय का है गायिकाएं नृत्यांगनाएं वाह-वाह दिखाएं वह दिखाएं और शोभायात्राएं जैसे चित्र उपलब्ध है



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