पुराने जमाने में जो महिलाएं डिप्रेशन, एंजायटी और मूड स्विंग से पीड़ित होती थी, उनकी जांच करने के बाद डॉक्टर उन्हें कहते थे कि वे “नारी उन्माद” से गुजर रही हैं।
इस विकार के कुछ इलाज किए जाते थे जैसे श्रोणि मसाज, जिसका मतलब यह रहता था कि महिलाओं को orgasm (यौन आनंद का चरम) दिलाया जाता था।
इलाज का यह तरीका प्रसिद्ध हो गया और जल्द ही बहुत सारी महिलाएं इसके लिए डॉक्टर के पास जाने लगी और आखिर इस इलाज के लिए एक यन्त्र बनाना पड़ा।
इस यन्त्र से वाइब्रेशन और मसाज होती थी और शुरुआत में अमीर महिलाएं या बड़े घरों की महिलाएं इसे अपने घर पर रखती थी ताकि जब भी “उन्माद” हो तो इसे इस्तेमाल करें।
इस तरह वाइब्रेटर बनाया गया, लेकिन आज के जमाने में वाइब्रेटर पूर्ण यौन आनंद के लिए इस्तेमाल होता है, इलाज के लिए नहीं।
हैरानी की बात है कि कैसे वाइब्रेटर का जन्म “उन्माद” से हुआ और कैसे यह महिलाओं के बीच इतना जल्दी प्रसिद्ध हो गया।