1937 में बम्बई आने से पूर्व प्रोफेसर लैंगहॅमर विएना (आस्ट्रेलिया) के स्टेट कालेज आफ आर्ट में कला-अध्यापन करते थे बम्बई के कला जगत् में वे व्यक्ति चित्रकार और दृश्य चित्रकार के रूप में विख्यात हुए ।
स्थानीय कलाकारों से उनका अच्छा परिचय था और उनके स्टुडियों में कलाकारों की भीड लगी रहती थी। वे विनम्र एवं दयालु स्वभाव के थे।
कला की दृष्टि से वे उत्तर- प्रभावववादी शैली के अनुयायी थे अतः जहाँ भारतीय कलाकार उनकी रंग योजनाओं और शैली से प्रेरणा लेते थे वहीं उनके कला-सम्बन्धी ज्ञान से कला-गोष्ठियाँ लाभान्वित होती रहती थीं।
कृष्ण हवलाजी आरा तथा सैयद हैदर रजा पर उनका विशेष प्रभाव पड़ा रजा से उनके गुरू-शिष्य के सम्बन्ध थे।
प्रो० लैंगहेमर टाइम्स आफ इण्डिया के प्रकाशनों के भी आर्ट डाइरेक्टर थे। उनके अनेक चित्र टाइम्स आफ इण्डिया के उस समय के वार्षिक अंकों में प्रकाशित होते रहे हैं।
भारत के स्वतंत्र होने के उपरान्त बम्बई की कलात्मक गतिविधियों को आधुनिक अन्तर्राष्ट्रीय कला जगत् से जोड़ने का काम जो कलाकार कर रहे थे उन्हें प्रो० लैंगहैमर से पर्याप्त प्रोत्साहन मिला; विशेष रूप से अभिव्यंजनावादी कला के प्रचार में।