कांतिमोहन ‘सोज़’ ‘किस बला का जोश जानां तेरे दीवाने में है
किस बला का जोश जानां तेरे दीवाने में है अकबर इलाहाबादी ने लिखा है — किस बला का जोश जानां तेरे दीवाने में है । कल ज़मानत पर छुटा था आज फिर थाने में है । उन्हीं की तर्ज़ पर — ’किस बला का जोश जानां तेरे दीवाने में है । कल ज़मानत पर छुटा…
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