1. हर बात खामोशी से मान लेना.. यह भी अंदाज़ होता है नाराज़गी का
2. नाराज़गी भी मोहब्बत की बुनियाद होती हे, मुलाक़ात से भी प्यारी किसी की याद होती हे…
3. हूँ ख़फ़ा मैं बेवजह ये सच है पर इसलिए क्या वो मनाना छोड़ दे
4. कहीं नाराज न हो जाए उपरवाला मुझ से, हर सुबह उठते ही, उससे पहले तुझे जो याद करता हूँ.
6. तुझ से नहीं तेरे वक़्त से नाराज हूँ… जो कभी तुझे मेरे लिए नहीं मिला…
8. ख़फ़ा हैं फिर भी आ कर छेड़ जाते हैं तसव्वुर में हमारे हाल पर कुछ मेहरबानी अब भी होती है.