अहमद फ़राज के दिल को छूने वाले 10 शेर

1. जब भी दिल खोल के रोए होंगे लोग आराम से सोए होंगे.

2. सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं

3.  डूबते डूबते कश्ती को उछाला दे दूँ मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जाएगा

4.  जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं

5. इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम

6. ज़िंदगी से यही गिला है मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे

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7.  ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें.

8. कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँ फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते

9. यूँही मौसम की अदा देख के याद आया है किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसाँ यहाँ.

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10. ये ख़्वाब है ख़ुशबू है कि झोंका है कि पल है ये धुँद है बादल है कि साया है कि तुम हो

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